Wednesday 22 August 2018

हिन्दी भाषा - दिनांक 15 अगस्त 2018

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स्वतंत्रता दिवस स्पर्धा विशेष………………
राष्ट्रप्रेम एक अनुभूति है,एक अहसास है,लेकिन आजकल ये केवल दिखावा एवं फैशन के रुप में प्रचारित होता है। वर्ष में केवल एक-दो दिन इसका दिखावा होने लगा है। पन्द्रह अगस्त और छ्ब्बीस जनवरी को चौराहे पर खड़े हो जाना, देशभक्ति के कान फोड़ू नारे लगाना,ऊँचे और बड़े-बड़े तिरंगे फहराना,राष्ट्रीय गीतों की आर्केस्ट्रा करना ही आजकल राष्ट्रभक्ति कहलाने लगी है। ये सब करना गलत नहीं है,किंतु इन दो दिनों के बीत जाने के बाद फिर हम वैसे ही हो जाते हैं,जैसे वास्तव में होते हैं।
क्या हम भारतमाता के सच्चे सेवक हैं ? यदि हाँ,तो फिर हमारे मध्य स्वार्थ,फरेब, काम,क्रोध,लोभ,वासना और धोखेबाजी का स्थान क्यों है ? जिस भी व्यक्ति को जब मौका लगता है,वो स्वार्थ की पराकाष्ठा को पार कर जाता है। अपना काम निकालने के लिए वो अनैतिकता की हर सीमा को पार कर जाता है। रिश्वत लेना-देना तो आज की फैशन क्रिया हो गई है। रिश्वत लेते और देते समय वो क़तई नहीं सोचता कि इस क्रिया-कलाप से देश को कितना नुकसान पहुँचेगा ? कहाँ काफूर हो जाती है उस समय देशभक्ति ?
नैतिक-अनैतिक मांगों को लेकर भारतीय नागरिक अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए सामूहिक हड़ताल और धरना आन्दोलन करता है। इन आन्दोलनों में सड़क जाम करते हैं, बेशुमार हिंसा करते हैं,सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं,पुलिस पर आक्रमण करते हैं। यहां तक कि इन आन्दोलन में हम इंसानियत तक खो देते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि कईं बार इन आन्दोलन और जाम में फँसी ऐम्बुलेंस में मरीज की जान तक चली जाती है। तब कहाँ चला जाता है इनका राष्ट्रप्रेम ?
राजनीति में भी यही देखने को मिल रहा है। हर दल केवल सत्ता पाने की होड़ में लगा है। वे ये नहीं सोच रहे हैं कि इस गठबंधन से राष्ट्र को क्या फायदा या नुकसान होगा। सत्ता की लोलुपता क्या इतनी अधिक हावी हो गई कि राजनेता कुर्सी प्रेम को राष्ट्रप्रेम से अधिक महत्व दे रहे हैं। क्या केवल हम भाषणों में ही राष्ट्रप्रेम दिखा सकते हैं, वास्तविक जीवन में नहीं।
आम से लेकर खास आदमी सभी राष्ट्रप्रेम को केवल प्रदर्शन की विषय-वस्तु समझता है। इन दो दिनों में वो इतना झूठा प्रदर्शन करता है कि उनके बराबर कोई राष्ट्रभक्त है ही नहीं। हमें संविधान में प्रदत्त अधिकार यदि पता है तो हमें कर्त्तव्यों का भी आभास होना चाहिए। अब वो समय नहीं जैसा कि आजादी के पूर्व था। महान योद्धा शिवाजी,महाराणा प्रताप,रानी लक्ष्मीबाई,सरोजिनी नायडू, तिलक,गोखले,आज़ाद,सुभाष जैसे अनेक देशभक्त हुए,जिनमें राष्ट्रप्रेम की भावना ओत-प्रोत थी,इसलिए देश के लिए इन्होंने अपनी जान तक की परवाह नहीं की। आज केवल हमें राष्ट्र की समृद्धि,विकास,सुरक्षा और वैभव का ख्याल रखना है। अगर हममें थोड़ा-सा भी राष्ट्रप्रेम है तो इस दिशा में उठाए जा रहे सरकार के हर कदम का साथ देना चाहिए, हमें राष्ट्र के हर कर्त्तव्य के प्रति सजग होना चाहिए। हमें दिखावे से ज्यादा आत्मीय रुप से जुड़ना चाहिए,न कि राष्ट्रप्रेम के थोथे प्रदर्शन करना चाहिए।

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