Wednesday 30 July 2014

ठगोरी कंपनियों के क़ॉल्स को पहचानें , दबंग दुनिया - इन्दौर दिनंक 17 जुलाई 2014


सखी, सावन आयो रे .. जनसन्देश टॉईम्स 30 जुलाई 2014


अब शतकवीर टमाटर ....... जनवाणी 30 जुलाई 2014

टमाटर भी सचिन की तरह् शतकवीर हो गया । आज जनवाणी में " अब टमाटर शतकवीर " अब शतकवीर टमाटर
देवेन्द्रसिंह सिसौदिया 
जब से शतकवीर सचिन तेन्दुलकर को भारत रत्न से नवाजा गया है तभी से हर कोई शतकवीर की दौड़ में शामिल हो गया है । जिसकी की दो क़ौड़ी की कीमत नही थी वो भी शतकवीर बनने के ख्वाब देख रहा है । फिर भला सब्जियाँ क्यों पिछे रहती ? उनके भी अपने अरमान है । कौन है जो इज्जतदार नही बनना नहीं चाहता सो आलू टमाटर भी शतकवीर बन बैठे ।
देश में समझों शतकवीर की बाड़ आ गई है । देश का कोई भी घोटाला सो करोड़ से कम का हो तो समझो घोटाला हुआ ही नहीं । इससे छोटे घोटालों को कोई गम्भीरता से नहीं लेता । सीबीआई से जाँच की मांग भी शतकवीर घोटालों की ही होती । जब भी किसी भ्रष्ट बाबू या अफसर के घर छापे पड़्ते है तो 100 करोड़ तो ऐसे निकलते है मानो उसके यहाँ नोटों का झाड़ लगा हो । इसमें साधारण सब्जी ( आलू – टमाटर ? ) खाने वाला चपरासी भी पिछे नहीं रहता । ये भी शतकवीर बने भ्रष्टाचार रत्न की उपाधी प्राप्त करने की दौड़ मे अव्वल है ।
टमाटर की बड़ती महत्ता को देख कर ऐसा लगता है शीघ्र ही कोई फिल्मकार “वेजीटेबल किंग टमाटर” नामक फिल्म बनाकर एक ही सप्ताह में हुई कमाई के सारे रेकार्ड तोड़ देगा । ये दिगर बात है कि इस फिल्म को देखने वे ही लोग सो से डेड़ सो रुपये वाले टिकट खरीद कर जायेंगे जो एक किलो टमाटर नहीं खरीद पा रहे है । इस फिल्म में जो डायलाग होंगे वो इस प्रकार होंगे – “ मेरे पास बंगला है गाड़ी है बैंक बैलेंस है रुपया है , तुम्हारे पास क्या है ? “ मेरे पास टमाटर है ! “ क्या तुमने उन टमाटरों का बीमा करवाया है? गुलजार साहब का गीत “मेरा कुछ सामान, तुम्हारे पास पडा है....... मेरा वो सामान ( टमाटर ) लौटा दो“ दोहराया जायेगा ।
टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी है।टमाटर में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस व विटामिन सी पाये जाते हैं। हर दृष्टी से गुणकारी टमाटर कई बिमारियों को नियन्त्रण करता है । अब टमाटर लोगों के घरों में नही अपितु न्यूज, धरना प्रदर्शनों में ही दिखाई देता हैं । जो भी हो इस बात से कविवर जरुर खुश है कि अब उन्हें मंच पर टमाटर नहीं खाना पड़ेगा क्योंकि महंगे जो इतने हो गए ।
शतकवीर का अपना महत्व होता है । कोई भी कलाकार, लेखक, फिल्मकार , गायक , संगीतकार और खिलाडी तब तक अपने आप को परिपूर्ण नहीं मानता जब तक कि उसकी उस विधा में शतक न लग जाए । इन शतकवीरों में नेताओं को कम न समझना । ह्मारी संसद के एक शतक से अधिक सांसदों की सम्पति शतक लाख ( एक करोड़ ) से अधिक है । फिर भी संसद के कैंटीन में ये गरीब बीस – तीस रुपये खाने की थाली खा कर उदर पूर्ती करते हैं । क्या सब्जियों के दाम बड़्ने के बाद संसद में भी एक थाली भोजन का दाम एक शतक ( सो रुपये ) तक पहुँच गया ? बेचारे आलू ट्माटर सोच रहे होंगे इतनी मेहनत कर हम एक शतक तक डालर को पछाड़ते हुए पहुचे हैं किंतु संसद में तो हमारी इज्जत वही बीस रुपये की ही है । बेचारा शतकवीर टमाटर ।
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