“ नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ”
देवेन्द्रसिंह सिसौदिया
हे देव वन्दित, धरा-मंडित, भू तरंगित वन्दना ॥
या देवी सर्वभूतेषु मतृरुपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।
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देवेन्द्रसिंह सिसौदिया
स्कन्द पुराण में
कहा गया है कि----
“त्रिभि: सारस्वतं पुण्यं समाहेन तु यामुजम ।
साघ: पुनाति गांगेयं दर्शनादेव नर्मदा ॥
यानी संसार में सरस्वती का जल 3 दिन में, यमुना का जल 7 दिन में तथा गंगा
मात्र स्नान से जीव को पवित्र कर देती है, किंतु नर्मदा जल के दर्शन मात्र से जीव
सभी पापों से मुक्त हो जाता है । पतित पावनी माँ नर्मदा की महिमा अनंत है । पुण्य
सलिला माँ नर्मदा माता गंगा से भी प्राचीन है । पुराणों में नर्मदा को शंकरजी की
पुत्री कहा गया है, इसका प्रत्येक कंकर शंकर माना जाता है । भक्तगण शंकर के रुप
में इन्हें अपने घर ले जाते है और श्रद्धा के साथ पूजा—अभिषेक करते है ।
माँ नर्मदा का
उद्गम मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के अमरकंटक से हुआ है । ये लगभग 1312 किमी, 98
बेसीन से गुजरते हुए गुजरात की खम्भात की
खाड़ी में समुद्र में समा जाती है । पवित्र नर्मदा कईं क्षेत्रों एवं नगरों के मध्य
से गुजरती है । नगरीयकरण एवं औध्योगिकरन
का पूरा हर्जाना माँ नर्मदा ने भरा है । बड़े-बड़े शहरों से नालों के रुप में बहता
पानी एवं औधोगों से निकला प्रदूषित जल जो नर्मदा में समाहित होता है इसे गन्दा एवं
दूषित करने में प्रमुख घटक का कार्य करता है । हर रोज 529
टन कचरा और 20.8 करोड़ गन्दा पानी इसमें
मिल रहा है । सबसे ज्यादा 83 टन गन्दगी जबलपुर में और
गन्दे नाले ला पानी होशंगाबाद मे मां नर्मदा के गोद में डाल जा रहा है और नर्मदा
के आंचल को मैला कर रहा है ।
हाल ही में
हुए सर्वे से यह जानकारी मिली है कि इन बड़े शहरों एवं औध्योगिक क्षेत्र के आसपास
नर्मदा के पानी में रासायनिक एवं बॉयलोज़िकल प्रोपर्टिज में काफी परिवर्तन पाया गया
। इन क्षेत्रों का पानी अधिक दूषित पाया गया । नेपानगर के आसपास के क्षेत्र में
सेक्युरिटी पेपर मिल के दूषित जल के नर्मदा में मिलने के कारण यहाँ वायु ताप, जल
ताप, जल कठोरता ( co3,HCO3,DO,BOD,COD),कैल्शियम हार्ड्नेश, क्लोराइड, टी.डी.एस
एवं आयरन की मात्रा मानकता से अधिक
पाई गई । कुछ दूरी पर जाकर ये समान्य होने लगती है क्योंकि नर्मदा के मार्ग में कई स्थानों पर आंतरिक जल
नर्मदा के जल में मिलता है । इस वजह से जल के
रासायनिक घटक में सुधार हो जाता है । परंतु जैसे ही ये किसी बड़े शहर या उधोग के किनारे से गुजरती है पानी फिर
अपनी सामन्य अवस्था को छोड़ गन्दा हो जाता है ।
म.प्र शासन के द्वारा जीवन दायीनी नर्मदा शुद्धीकरण हेतु कईं बड़े कदम उठाये जा रहे है ,शासन के द्वारा 1300 करोड़ का बज़ट भी स्वीकृत किया गया है । शासन अपने स्तर पर समस्त आवश्यक कदम उठायेगा । यहाँ जो समस्या है उसका केवल शासन स्तर एवं प्रयासों से ही निराकरण हो जाये ये सम्भव नहीं है । जैसा कि नर्मदा नदी म.प्र की जीवन दायिनी हैं । इसके किनारे सैकड़ों गाँव व शहर बसे हुए है । प्रदेश के तीन महानगरों इंदौर, भोपाल और जबलपुर को भी यहाँ से पेयजल की आपूर्ति होती है । यदि समय रहते प्रदेश का हर नागरीक नहीं जागा तो ऐसी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा जो अकल्पनीय है । इसके पानी को शुद्ध एवं पवीत्र बनाये रखना प्रदेश वासियों का परम धर्म है । शासन और आम जन को चाहिये कि वो इस पावन नदी की पवीत्रता को कायम रखे इसमें प्रवाहित किये जा रहे कचरे , गन्दे पानी को और औद्योगिक प्रदूषित पानी को तुरंत रोके । यदि नर्मदा परिक्रमा करने
वाले भक्त ही बेड़ा उठा ले और वे इस में समाहित होने वाले गन्दे नाले, औध्योगिक पदूषित
जल का रास्ता मोड़ दे एवं किनारों पर जमी गन्द्गी को साफ़ करने का कार्य कर दे तो
इससे बड़ा कोई पूण्य कार्य नहीं होगा । हमें स्वार्थ, धर्म- सम्प्रदाय की संकीर्णता से बाहर आकर एक जन आन्दोलन के रुप में लेना होगा । माँ नर्मदा किसी एक धर्म, सम्प्रदाय या जाति विशेष की नहीं है । वो माँ है किसी के साथ भेद-भाव नहीं करती तो हम सभी का परम धर्म है कि हम भी मुक्त मन से इसके शुद्धिकरण हेतु सहयोग प्रदान करे, इसे केवल सरकार के भरोसे छोड़ देने से काम नहीं चलेगा । स्कन्द पुराण में कहा गया है
कि “ गंगा कंखले पुण्या कुरुक्षेत्रे सरस्वती । ग्रामे वा यदि वाSरण्ये पुण्या सर्वत्र नर्मदा ॥“ यानी गंगा कनखल (
हरिद्वार) में पुण्य देने वाली है । पश्चिम में सरस्वती पुण्यदा है । दक्षिण में
गोदावरी पुण्यवती है और नर्मदा सब स्थानों में पुण्यवती और पूजनीय है ।
ॐ रुद्रतनया नर्मदे, शतश: समर्पित
वन्दना ।हे देव वन्दित, धरा-मंडित, भू तरंगित वन्दना ॥
या देवी सर्वभूतेषु मतृरुपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।
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