Thursday 17 December 2015

मध्यप्रदेश जनसन्देश - सतना, रीवा एवं जबलपुर, दिनांक 17 दिसम्बर 2015



आज मध्यप्रदेश जनसन्देश में ( ये दूसरी हैट्रीक है ) मूल लेख ये है ----‘हिट एंड रन’ का हिट हो जाना
देवेन्द्रसिंह सिसौदिया
ऐसा नहीं कि ‘हिट एंड रन’ देश का पहला प्रकरण है । इसके पूर्व भी कईं प्रकरण हुए किंतु इस प्रकरण ने जो देश के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया वो तारीफे काबिल है । कईं गुरुओं की आशाए जाग उठी है । वो भी अच्छे दिन के ख्वाब देखने लगे है । सल्लू के समक्ष उनके गुरुत्व ने भी घुटने टेक दिए । उन्हें अपना गुरु मान लिया ।
तेरह बरस चले इस प्रकरण ने कईं लोगों की परीक्षाएँ ले डाली । ड्राईवर से लेकर ऊँचे होदे तक के अधिकारियों ने ये सिद्ध कर दिया कि लॉयेल्टी क्या होती है ? अब यह कोई नहीं कह सकता कि केवल कुत्ते ही वफादार होते हैं । फिर चाहे अपनी वफादारी का प्रदर्शन करने के लिए इंसान को ही कुता क्यों नहीं कहना पड़े ।
बचपन में हमने कछुए की कहानी सुनी थी । दादी ने भी यहीं सिखाया कि कछुआ धीरे धीरे चल कर कैसे दौड़ जीत जाता है । इस प्रकरण में भी यहीं हुआ तेरह बरस तक कछुए की चाल चलने के बाद अचानक फैसला बदल जाता है ।
अंग्रेजी कहावत ‘मनी मेक्स मेयर गो’ कभी समझ में नहीं आई थी । शुक्र, सल्लू का जो वर्षों पश्चात बड़ी आसानी से इस कहावत का गुढ़ रहस्य समझने में सहायता की। पैसों से क्या नहीं खरीदा जा सकता । यहाँ सब कुछ मिलता है बस खरीदने वाला होना चहिए । मुझे तो भरोसा है कि इस प्रकरण को विधि के पाठयक्रम में विशेष स्थान दिया जाएगा ।
इस प्रकरण में जब लोगों ने वकीलों की फीस के बारे में सुना तो अपने नौ-निहालों के कॉरियर के बारे में तय कर लिया होगा कि उन्हें वकील ही बनायेंगे । वो दिन दूर नहीं जब इंजीनियरिंग कॉलेजों के बोर्ड उतर जायेंगे और विधि महाविध्यालय के साईनबोर्ड जगमगायेंगे । केवल अभिनेता ही अभिनय नहीं कर सकता अपितु एक वकील भी अच्छे अभिनय और तर्क के आधार पर विद्वानों की राय बदल सकता है ।
मीडिया भी इस सेलेब्रेटी बॉय को दिखाने में पीछे नहीं रहा । सुबह उठने से लेकर शाम को घर लौटने तक की रनींग कॉमेंट्री तो ऐसे दिखा रहे थे जैसे विश्व कप मैच का लाइव प्रसारण कर रहे हो । ह्त्या के प्रकरण का सामना करने जाते हुए अपराधी को इस प्रकार दिखाया जा रहा था जैसे वो कोई सत्य और असत्य का युद्ध लड़ने जा रहा हो, जब लौटा तो विजेता की तरह । कुछ भी हो सबने अपनी अपनी टीआरपी बड़ाने की कोई कसर नहीं छोड़ी । वाह, सल्लू मियाँ आपने सबका ख्याल रखा ।
फुटपाथ पर लैटे बेघरों से जब कोई उनकी अंतिम ईच्छा के बारे में पूछेगा तो अवश्य ही वह चाहेगा कि वो जब भी मरे किसी सैलेब्रेटी की गाड़ी के नीचे आकर । ताकि चाहे उसे इस दुनिया से मुक्ति के साथ परिवार को गरीबी से मुक्ति मिल जाये ।
वैसे हिट केवल गाड़ी से फुटपाथ पर ही नहीं किया जाता बल्कि लोगों की भावनाओं को भी किया जाता रहा है । वर्षों से गरीबों की भावनाओं को हिट कर उन्हें अच्छे दिनों के सपने दिखाये जाते रहे हैं । कुछ ही दिनों में इसी प्रकरण पर फिल्म बनेगी जो सो करोड़ के क्लब में अपना नाम दर्ज करवा कर हिट हो जाएगी ।
*********************************************************

जनसत्ता - नईदिल्ली , 16 दिसम्बर 2015


जनवाणी, उ.प्र ,उत्तराखंड, दिनांक 15 दिसम्बर 2015


दैनिक हिन्दी मिलाप - हैदराबाद, दिनांक 15 दिसम्बर 2015