Sunday 29 April 2018

हिन्दी भाषा एक साक्षात्कार , दिनांक 28 अप्रेल 2018

बचपन से लेखन में रुचि थी,अब तो ये शौक बन गया : श्री सिसौदिया               सुश्री नमिता दुबेइं दौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************* ऐतिहासिक नगरी बाग(धार,म.प्र.)में १९ जनवरी १९६८ को जन्मे एवं इन्दौर के साहित्यकार देवेन्द्रसिंह सिसौदिया जी से एक मुलाकात हुई। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश… प्रश्न-आप अपने बारे में कुछ बताएं। उत्तर-मेरा जन्म धार जिले के छोटे से ऐतिहासिक गाँव बाग में हुआ है। पिताजी के शिक्षक होने से मेरी पढ़ाई-लिखाई कईं सरकारी शालाओं में हुई। मैंने स्नातक(कला संकाय),स्नातकोत्तर एवं एम.फिल. (भूगोल) की शिक्षा ली है। भारतीय जीवन बीमा की सेवा में रहते हुए एल.एल.बी. एवं भारतीय बीमा संस्थान से एसोशिएट किया है। वर्तमान में निगम में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर शाखा बड़वाह में कार्यरत हूँ। प्रश्न-आपको लिखने का शौक कैसे लगा ? उत्तर-बचपन में पिताजी को लिखते देखते रहता था,बस उन्हें देख शाला से निकलने वाली वार्षिक पत्रिकाओं में लिखना प्रारम्भ किया जो अनवरत तीस सालों से जारी है। प्रश्न-आपने शौकिया लिखना शुरु किया या किसी उद्देश्य से ? उत्तर-बचपन से लेखन में रुचि थी।कुछ दिनों बाद पत्र सम्पादक के नाम नईदुनिया अखबार में लिखा फिर धीरे-धीरे अन्य अखबारों में लेख,व्यंग्य,कविताएं आदि लिखने लगा। अब तो ये शौक बन गया है। प्रश्न-क्या लेखन के क्षेत्र में सम्मानित भी हुए हैं ? उत्तर-हाँ,इन्दौर बीमा संस्थान द्वारा हीरक जयंती पर आयोजित निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अलावा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हेतु आमंत्रित सुझावों में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है। मध्य प्रदेश शासन के तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी द्वारा भी सम्मानित किया गया हैI प्रश्न-आप किन-किन विधाओं में काम कर चुके हैं ? उत्तर-मैंने साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लिखा है। आप मेरे आलेख,कविताएं,बालकथाएं,लघुकथाएं,व्यंग्य एवं पुस्तक समीक्षाएं भी पढ़ सकते हैं। प्रश्न-आपकी पसन्दीदा लेखन विधा कौन-सी है ? उत्तर-मैं सबसे अधिक व्यंग्य लिखता हूँ। जब भी व्यवस्था में कोई कमी दिखाई देती है बस उस पर व्यंग्य लिखकर अपनी बात कह देता हूँ। प्रश्न-आपकी हर रचना में व्यंग्य का प्रभाव होता है चाहे वो कविता हो या लघुकथाएं,क्यों ? उत्तर-लेखक का जो मूल स्वभाव होता है वो उसकी हर रचना में दिखाई देता है। बस यही कारण है कि मेरी हर रचना में कहीं न कहीं व्यंग्य का प्रभाव दिखाई देता है। प्रश्न-आपकी रचनाएं अभी तक किन-किन अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं ? उत्तर-भारत के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों नईदुनिया,भास्कर, जनसत्ता,जागरण,पत्रिका,डैली न्यूज,लोकमत समाचार,हिन्दी मिलाप सहित दैनिक दबंग दुनिया,स्वदेश और हरिभूमि आदि हैं। अभी तक लगभग ६०० रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। कुछ रचनाओं का इन्दौर आकाशवाणी से प्रसारण भी हुआ है। दो व्यंग्य संग्रह-व्यंग्य बत्तीसी एवं नए नवेले में मेरे व्यंग्य को स्थान मिला है। प्रश्न-आप किन बातों से उद्धेलित हो जाते हैं,और उस पर क्या लिखते हैं? उत्तर-मैं अव्यवस्थाओं,नैतिक पतन एवं अनुशासनहीनता से अत्यधिक उद्धेलित हो जाता हूँ,बस उन्हीं बातों को लेकर सामाजिक विषयों पर आलेख एवं व्यंग्य लिखता हूँ। प्रश्न-हिन्दी भाषा के विकास के लिए आपका क्या योगदान है ? उत्तर-आपको जानकर आश्चर्य होगा कि,मेरा विषय ‘हिन्दी’ कभी रहा नहीं,फिर भी मेरा लेखन केवल हिन्दी में ही होता है। मुझे खुशी है हिन्दी में लिखने में वो हमारी राजभाषा के साथ मातृभाषा भी है। प्रश्न-पाँच साल बाद आप अपने आप को कहाँ देखना चाहते हैं ? उत्तर-आप लोगों के बीच रहकर ही बस साहित्य सेवा करना चाहता हूँ। प्रश्न-हमारा पोर्टल(हिन्दीभाषा. कॉम) राजभाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने हेतु संघर्षरत है,आप इस हेतु क्या सुझाव देना चाहेंगे ? उत्तर-यह बहुत बड़ी विडम्बना है कि हिन्दी आज भी राष्ट्रभाषा बन नहीं पाई है। जैसा कि हम जानते हैं कि नई पीढ़ी इलेक्ट्रोनिक मीडिया से अधिक जुड़ी है। ऐसे में ये मंच नए लेखकों को इस अभियान से जोड़ कर भाषा के प्रचार-प्रसार में बड़ा योगदान देगा,ऐसा मेरा विश्वास है। आपके अभिनव प्रयास को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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