रेडियो के अच्छे दिन आ गए
देश के प्रधान मंत्री रेडियो पर क्या देश को
मन की बात करने लगे कि रेडियो भी फुला नहीं समाने लगा है । कहते है कुड़े के भी दिन
फिरते है.... अब तो लोगों ने देख भी लिया । रेडियो तो फिर रेडियो है । उसके दिन भी
अच्छे आ गए । एक ज़माना था जब लोग रेडियो बगल में टांगे इतराते फिरते थे । गाँव में
एक दो हुआ करते थे । देश वासी ऑल इंडिया
रेडियो से आने वाले समाचार देश में होने वाली हर घटना से रुबरु कराते थे । लोग आज
भी अमीन साहनीजी की बिनाका गीत माला को भूल नहीं पाए है । दुनिया की खबर के लिए
बीबीसी लन्दन एक मात्र सहारा हुआ करता था । समाचारों की भाषा और विश्वसनीयता इतनी
स्टेण्डर्ड हुआ करती थी कि लोग समाचार वाचकों
के मुरीद हुआ करते थे । उनके समाचार पढने के तौर तरिकों की नकल की जाती थी । कईं
लोगों ने अमीनजी से ही कार्यक्रम का संचालन कैसे किया जाए सिखा ।
जब
से बुद्धू बक्सा आया बेचारे रेडियो के दिन लद गए । कुछ दिन तो वो अपनी अहमियत को
साबित करने में सफल रहा किंतु जैसे ही निजी चैनलस शुरु हुई इसकी तो हत्या ही हो गई
। एक समय तक तो ये घर के ड्राईंग रुम मे
दिखता था किंतु अब तो ये स्टोर रुम में भी दिखाई नही देता । धन्य हो मोदी जी का जो
रेडियो को फिर ज़िन्दा कर दिया । रेडियो के माध्यम से मोदीजी मन की बात कर लोगों के
मन के अन्दर प्रवेश कर रहे है । आशा है केवल रेडियो के ही अच्छे दिन नहीं आयेंगे
बल्कि हम सब के शुभ दिन आयेंगे फिर चाहे वो कुड़ा, झाड़ू या साड़ू ही क्यो न हो ।
देवेन्द्रसिंह सिसौदिया