मेरी स्मार्ट सिटी
— 22/11/2014
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(अतिथि व्यंग्यकार) देवेन्द्रसिंह सिसौदिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पन्द्रह अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश में सौ स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। यहाँ स्मार्ट लोग, स्मार्ट नेतृत्व और स्मार्ट गवर्नेंस होगी । इन शहरों में नागरिक सुविधाओं का अभाव नहीं होगा, साफ सफाई को विशेष तरजीह दी जायेगी, यातायात सुविधा बेहतर होगी और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं उच्च श्रेणी की होगी । उनका यह कदम स्वागत योग्य है । उन्हें जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरी सिटी तो पूर्व से ही स्मार्ट है । यहाँ स्मार्ट सिटी की समस्त सुविधाएँ बगैर किसी योजना और व्यय के उपलब्ध हैं और यहाँ के निवासी वर्षों से उनका उपयोग कर रहे हैं ।
मेरी स्मार्ट सिटी की यातायात व्यस्था एकदम चुस्त है। हर चौराहे पर पशु च्युंगम चुगलाते केट वॉक की तर्ज पर आपका स्वागत करते हैं । ट्रैफिक पुलिस यातायात व्यवस्था में कम, आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में अधिक व्यस्त रहती है। चलती गाड़ी ( दोपहिया) में चालकों को आमतौर पर आप तिरछी गरदन लिये बात करते हुए देख सकते हैं । आप यहाँ आजादी का पूरा फायदा उठाते हुए कहीं भी गाडी खड़ी कर सकते है, आसपास का ट्रैफिक अपना रास्ता बड़े स्मार्ट तरीके से स्वयं खोज लेता है। कहते है न “ जहाँ चाह वाह राह”।
सिटी की सुरक्षा और स्वच्छ्ता का काम यहाँ के स्मार्ट कुत्ते बेहद ही स्मार्ट तरीके से करते है । सिटी के कुडेदान इनकी चौकसी में रहते है । ये अपने अधिकार के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते, फिर इन्हें काटना ही क्यों न पड़े । इन्हें क्या पता कि सिटी में उनके काटने पर लगने वाला इंजेक्शन नहीं है। आमतौर पर इनका निवास सिटी के बड़े अस्पताल और उसके आसपास के क्षेत्र होते हैं । यहाँ समाजवाद का उदाहरण देखने को मिलता है । यहाँ कुत्ता, बिल्ली और चूहे एक साथ रहते है । कभी कोई किसी के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करते और बड़े स्मार्ट तरीके से अपना सुखी जीवन यापन करते हैं। कचरा प्रबन्धन तो यहाँ का इतना उम्दा किस्म का है कि आप सोच भी नही सकते । त्रुटिवश आपकी यदि कोई वस्तु कचरे में चली भी गई तो चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। कम से कम दो तीन दिन तो वो मोहल्ले के कुड़ेदान या उसके आसपास पड़ी जरुर मिल जाएगी। ये कुड़ेदान कई लोगों को रोजगार भी देते है। यहाँ पाई जाने वाली पन्नियों पर ही कई परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम होता है।
मेरी सिटी की स्ट्रीट लाइट सूरज को मुँह चिड़ाते हुए दिन में ही प्रकाश फैलाए आपका स्वागत करती है । सिटी के कुछ चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं । कहाँ-कहाँ लगे, ये तब पता चलता है जब वहाँ कोई दुर्घटना घट जाती है और पुलिस विवेचना में बताया जाता है कि कैमरे तो लगे थे किंतु बन्द थे। बहरहाल इस बारे में सिटी के स्मार्ट चोर, उठाईगिरों और डकैतों को पूरी जानकारी होती है।
मेरी सिटी शत-प्रतिशत वाई फाई भी है। सिटी के किसी भी कोन पर खड़े होकर नेट चलाया जा सकता है । पासवर्ड हैकर्स इतने स्मार्ट हैं कि किसी भी नेटवर्क, वेब पेज, फेस बुक के पासवर्ड को एक सेकंड में ब्रेक कर अपने कब्जे में ले लेते हैं। जिस प्रकार जुगाड़ की सरकार बनती है उसी प्रकार मेरी स्मार्ट सिटी में हर चीज़ जुगाड़ की और डुप्लीकट आसानी से बनाई जाती है । ये जुगाड़ की चीजें और कहीं नहीं बनती, बल्कि मेरी सिटी के स्मार्ट लोगों के द्वारा ही बनाई जाती है।
मेरी सिटी में केवल पशु , यातायात व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था ही स्मार्ट नहीं है अपितु यहाँ के नेता भी बड़े स्मार्ट है । ये नेता नामक प्राणी भाईगीरी की दबंगता, भजन सन्ध्या का आयोजन, सामूहिक विवाह का संयोजन, धार्मिक संस्कारों का प्रायोजन, चुनाव की औपचारिकता और खेल प्राधिकरणों का प्रबंधन इतने स्मार्ट तरीके से करते हैं कि इनकी देश भर में मांग रहती है। है न मेरी सिटी स्मार्ट? तो फिर कब पधार रहे हो मेरी स्मार्ट सिटी में?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पन्द्रह अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश में सौ स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। यहाँ स्मार्ट लोग, स्मार्ट नेतृत्व और स्मार्ट गवर्नेंस होगी । इन शहरों में नागरिक सुविधाओं का अभाव नहीं होगा, साफ सफाई को विशेष तरजीह दी जायेगी, यातायात सुविधा बेहतर होगी और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं उच्च श्रेणी की होगी । उनका यह कदम स्वागत योग्य है । उन्हें जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरी सिटी तो पूर्व से ही स्मार्ट है । यहाँ स्मार्ट सिटी की समस्त सुविधाएँ बगैर किसी योजना और व्यय के उपलब्ध हैं और यहाँ के निवासी वर्षों से उनका उपयोग कर रहे हैं ।
मेरी स्मार्ट सिटी की यातायात व्यस्था एकदम चुस्त है। हर चौराहे पर पशु च्युंगम चुगलाते केट वॉक की तर्ज पर आपका स्वागत करते हैं । ट्रैफिक पुलिस यातायात व्यवस्था में कम, आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में अधिक व्यस्त रहती है। चलती गाड़ी ( दोपहिया) में चालकों को आमतौर पर आप तिरछी गरदन लिये बात करते हुए देख सकते हैं । आप यहाँ आजादी का पूरा फायदा उठाते हुए कहीं भी गाडी खड़ी कर सकते है, आसपास का ट्रैफिक अपना रास्ता बड़े स्मार्ट तरीके से स्वयं खोज लेता है। कहते है न “ जहाँ चाह वाह राह”।
सिटी की सुरक्षा और स्वच्छ्ता का काम यहाँ के स्मार्ट कुत्ते बेहद ही स्मार्ट तरीके से करते है । सिटी के कुडेदान इनकी चौकसी में रहते है । ये अपने अधिकार के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते, फिर इन्हें काटना ही क्यों न पड़े । इन्हें क्या पता कि सिटी में उनके काटने पर लगने वाला इंजेक्शन नहीं है। आमतौर पर इनका निवास सिटी के बड़े अस्पताल और उसके आसपास के क्षेत्र होते हैं । यहाँ समाजवाद का उदाहरण देखने को मिलता है । यहाँ कुत्ता, बिल्ली और चूहे एक साथ रहते है । कभी कोई किसी के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करते और बड़े स्मार्ट तरीके से अपना सुखी जीवन यापन करते हैं। कचरा प्रबन्धन तो यहाँ का इतना उम्दा किस्म का है कि आप सोच भी नही सकते । त्रुटिवश आपकी यदि कोई वस्तु कचरे में चली भी गई तो चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। कम से कम दो तीन दिन तो वो मोहल्ले के कुड़ेदान या उसके आसपास पड़ी जरुर मिल जाएगी। ये कुड़ेदान कई लोगों को रोजगार भी देते है। यहाँ पाई जाने वाली पन्नियों पर ही कई परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम होता है।
मेरी सिटी की स्ट्रीट लाइट सूरज को मुँह चिड़ाते हुए दिन में ही प्रकाश फैलाए आपका स्वागत करती है । सिटी के कुछ चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं । कहाँ-कहाँ लगे, ये तब पता चलता है जब वहाँ कोई दुर्घटना घट जाती है और पुलिस विवेचना में बताया जाता है कि कैमरे तो लगे थे किंतु बन्द थे। बहरहाल इस बारे में सिटी के स्मार्ट चोर, उठाईगिरों और डकैतों को पूरी जानकारी होती है।
मेरी सिटी शत-प्रतिशत वाई फाई भी है। सिटी के किसी भी कोन पर खड़े होकर नेट चलाया जा सकता है । पासवर्ड हैकर्स इतने स्मार्ट हैं कि किसी भी नेटवर्क, वेब पेज, फेस बुक के पासवर्ड को एक सेकंड में ब्रेक कर अपने कब्जे में ले लेते हैं। जिस प्रकार जुगाड़ की सरकार बनती है उसी प्रकार मेरी स्मार्ट सिटी में हर चीज़ जुगाड़ की और डुप्लीकट आसानी से बनाई जाती है । ये जुगाड़ की चीजें और कहीं नहीं बनती, बल्कि मेरी सिटी के स्मार्ट लोगों के द्वारा ही बनाई जाती है।
मेरी सिटी में केवल पशु , यातायात व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था ही स्मार्ट नहीं है अपितु यहाँ के नेता भी बड़े स्मार्ट है । ये नेता नामक प्राणी भाईगीरी की दबंगता, भजन सन्ध्या का आयोजन, सामूहिक विवाह का संयोजन, धार्मिक संस्कारों का प्रायोजन, चुनाव की औपचारिकता और खेल प्राधिकरणों का प्रबंधन इतने स्मार्ट तरीके से करते हैं कि इनकी देश भर में मांग रहती है। है न मेरी सिटी स्मार्ट? तो फिर कब पधार रहे हो मेरी स्मार्ट सिटी में?
(Disclaimer : इसमें व्यक्त विचार लेखक के हैं। वेबसाइट hindisatire.com इसके लिए जवाबदेह नहीं है।)