Tuesday 30 June 2015
Friday 26 June 2015
Thursday 4 June 2015
कविता - पूजा
पूजा
हे भगवान
मुझे माफ़ करना
मैं भी तुम्हें
सजा कर मन्दीर में
करती हृदय से पूजा
पर क्या करुं
मेरी मजबूरी
को केवल तुम्हीं
समझ पाओगे
अगर तुम्हें
आज नहीं
बेचा तो
मेरे पोते की
कैसे हो पाएगी
पेट पूजा ?
तुम तो
जहाँ जाओगी
फैलाओगे
खुशियों की सौगाते
पर मुझे तो
दो जून की रोटी
तब ही
मिल पाएगी
जब तुम
मेरे पास से
किसी और के
पास जाओगे ।
ये मत
सोचना कि
मेरा कोई तुम से
बैर
है
बस समझना कि
गरीबी का फैर है ।
सजना तुम
किसी ओर
के मन्दीर में
मैं सजाए बैठुंगी
तुम्हें अपने
मन
मन्दीर में ।
इसी
विश्वास
के साथ कि
तेरे दर पर
देर है पर अन्धेर नहीं ।
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देवेन्द्रसिंह सिसौदिया
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